Love Story In Hindi.
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`1. स्कूल वाला प्यार
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किस्मत भी कितनी अजीब चीज़ होती है तुम चाहे जितना किसी चीज़ को पाने की कोशिश कर कर लो अगर वो तुम्हारी किस्मत में नहीं तो वो तुम्हे मिल कर भी कभी नहीं मिलेगी।
यह बात तब की है जब मैं दसवीं कक्षा में हुआ करती थी उस वक़्त में थोड़ी नासमझ थी समझ नहीं पाती थी कि क्या ग़लत है और क्या सही। मेरा एक दोस्त था उसका नाम शिवम् था। बहुत ही हैंडसम, बॉडी तो ऐसी कि कोई भी फिदा हों जाए हमारे क्लास की सब्ही लड़कियां उसके पीछे पागल थी। हम दोनों एक ही क्लास में थे, मेरी उससे ज़्यादा बात नहीं हुई थी कभी। मेरा फेसबुक पर एक फेक अकाउंट था जिसका नाम रिया पूजा था और उसी से मैं सब से बातें किया करती थी मुझे अपना नाम बता कर किसी से बात करना ज़्यादा पसंद नहीं था।
स्कूल के ज़्यादा तर लड़के रिया के पीछे पड़ गए और जानने में लग गए कि यह है कौन? इसी सब के बीच मुझे शिवम् की रिक्वेस्ट आई उसने मुझे मेसेज किया और मैं उससे बात करने लगी।
कुछ दिन में हम दोनों में बहोत अच्छी दोस्ती हो गई पर उससे यह बात नहीं पता थी कि शिवानी ही रिया पूजा है। मैनें कभी नहीं सोचा था कि मैं उससे इतनी बातें करने लगूं गी और उससे इतनी अच्छी दोस्ती हो जाएगी।
ये बातें बढ़ती गई और हमारे दिल मिलते गए उसने मुझे प्रपोज किया ना जाने क्यूं कब कैसे मुझे भी उससे मोहब्बत हो गई और मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे उसका प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया। मानो ये मोहब्बत बढ़ती गई ना खाने का होश ना पीने का। हर वक़्त उसके ख्यालों मे खोना तो जैसे मेरा काम बन गया था।
कुछ दिन बाद मेरे मन्न में ये बात आने लगी कि वो रिया से प्यार करता है ना कि शिवानी से। मेरा मन घबराने लगा और दिन रात यही सोचने लगी कि उससे सरी सच्चाई कैसे बताऊं। इस लिए मैंने उससे बातें बहोत कम कर दीं। उससे भी अब थोड़ा शक होने लगा क्युंगी मैं अपने रियल अकाउंट से भी उससे बातें करती थी।
कुछ दिन बाद उससे सारी सच्चाई का पता चल गया। मैं बहुत डर गई उसने बहुत गुस्सा किया तब भी वह मुझे अपनाने के लिए तैयार था बस कहे जा रहा था कि “शिवानी तुम हां करदो मैं नहीं जाऊंगा तुमसे दूर” पर मैंने घर वालों के डर से मना कर दिया और गुस्से में ही आकर वो मेरे क्लास की दूसरी लड़की के साथ रिलेशन में आ गया।
वो लड़की उससे मेरे खिलाफ बढ़काने लगी और मेरे और शिवम् में लड़ाई लगवा कर बातें बंद करवा दी। मुझे अपनी बातें साबित करने का एक मौका तक नहीं दिया। बहुत रोई मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उस वक़्त मैंने उससे उसके हाल पर छोड़ना ही सही समझा और उससे भूलने की कोशिश करने लगी। उसके लिए मैंने अपना स्कूल भी बदल दिया।
मेरा दिल जैसे टूट सा गया मुझे अपनी गलती भी साफ नज़र आ रही थी यह जो कुछ भी हुआ था वो मेरी ही वजह से हुआ। उसका मुझसे दूर जाना भी जायज था पर बस एक सवाल था कि क्या वो मेरा इंतज़ार भी नहीं कर सकता था? मैं बस खुद को कोसती रही कि धोका दिया था मैने उससे।
उस बात को चार साल हो गए उसके बिना रहने कि आदत तो पड़ गई थी मुझे पर रातें मेरी उसकी यादों के साथ गुजरती थी।
एक दिन उसका मेसेज आया मेरे पास “कैसी हो” पहले तो मैं आधा घंटा ये सोचती रही कि ऐसा कैसे हो सकता है, मैं रिप्लाइ करूं या नहीं, अग्र अभी भी वो गुस्सा हुआ तो। खैर मैंने रिप्लाइ किया हम दोनों में फिर से बातें शुरू हो गई जो गलत फमिया थी वो भी सही हो गईं। इस बार मैं शिवानी थी और वो शिवम् ना कोई झूट ना कोई धोका बस मैं और वो।
हम दोनों मिलने लगें बातें बढ़ी और हमने शादी का फैसला किया. पर कहते है ना अग्र मोहब्बत सच्ची हो तो उससे मंज़िल मिलने में बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं पर मेरे साथ तो कुछ अलग ही था मानो ऐसा लग रहा था कि हमारी मोहब्बत की मंजिल है ही नहीं हैं। उसकी एक कार एक्सिडेंट में मौत हो गईं और मोहब्बत हमारी अधूरी रह गई।
मैं अन्दर से टूट गईं मेरी ज़िन्दगी ही उजड़ गईं। आज भी मैं अकेली हूं अब ना मुझे किसी से मोहब्बत है और ना होगी। वो मेरी यादों में ज़िंदा है और हमेशा रहेगा। मेरी पहली और आखरी मोहब्बत बन कर।
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2. आज भी याद आती है उसकी हंसी.
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एक बार मैं अपने पैरेंट्स के साथ दिल्ली रिश्तेदार के घर शादी में गयी हुयी थी। लड़की की शादी थी। लड़की अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी और अच्छी जगह पर जॉब भी करती थी।
शादी के बाद उसे अमेरिका चले जाना था। शादी की तैयारियां बड़ी धूमधाम से की गईं थी। सजावट इतनी ज्यादा थी कि चारों तरफ की चकाचौंध देखते बन रही थी।
खुशनुमा माहौल था और लोगो की भीड़ भी अच्छी थी। शादी में सभी लोग खाने- पीने का आनंद ले रहे थे।
थोड़ी देर में शादी की रस्मे भी शुरू हो गयी और मंत्रोच्चार के साथ शादी की रस्में एक के बाद एक पूरी की जा रही थी। हर रस्म में लड़की की मम्मी रोने लगती क्योंकि उनको लगता कि बेटी अब उनसे बहुत दूर चली जाएगी। मैं भी शादी का आनंद ले रही थी और बारातियो के साथ हंसी मज़ाक हो रही थी।
शादी में आए बाराती भी बेहद हंसमुख थे। उन्हीं में से एक था रोहित, जिसने शादी के कई पलों में हंसी मजाक से रोते हुए लोगों को हंसा दिया। रोहित हंसमुख के साथ दिखने में भी बहुत हैंडसम था। मैंने रत में उससे बात करने की कोशिश की पर नहीं हो पायी, बस नजरे मिली।
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लड़की की विदाई का समय आया तो माहौल एकदम शांत हो गया। लड़के वाले दुल्हन को ले जाने की तैयारी में जुट गए। लड़की वाले भी विदाई की तैयारियां करने लगे। विदाई की इस घड़ी में दुल्हन को गाड़ी में ले जाकर बिठा दिया गया। ऐसे में, सभी रिश्तेदार व लड़की के मां-बाप रोने-धोने लगे।
मैं भी उन लोगो के साथ थी। सब रोए ही जा रहे थे कि तभी एक रोहित ने मजाक करते हुए कहा, आप लोग चुप होते हैं या नहीं, अगर लड़की को नहीं भेजना है, तो हम दूल्हे मियां को यहीं छोड़ जाते हैं।
उसकी ऐसी बातें सुनकर अचानक सभी रोते हुए लोग हंसने लगे। ऐसे में कोई भी अपनी हंसी रोक नहीं पाया।
इस तरह सारा गमगीन माहौल बदल गया और लोग न चाहते हुए भी हंसने लगे।
रो रोकर बेहाल हुए जा रहे लड़की और उसके पैरेंट्स भी हंसे बिना नहीं रह सके। कहां तो अब तक छोटी छोटी रस्मों के दौरान भी रो रहे थे, और कहां विदाई की इस बेला में भी उनकी नम आंखें मुस्कुरा दीं। शादी की विदाई के समय माहौल ऐसा बन गया था कि हर किसी ने लड़की को खुशी- खुशी हंसते हुए विदा किया।
मुझे पहली बार कोई लड़का इतना पसंद आया था पर, उसके बाद उस लड़के से कभी मुलाकात नहीं हो पायी, लेकिन आज भी उसकी हंसी मेरे यादों से नहीं जाती है।
3. पहला प्यार
भारतीय इतिहास की सबसे अच्छी प्रेम कहानी कौन सी है?
हीर रांझा । भारत के ऐतिहासिक जोड़ों में से एक जिसे लोग रोमियो जूलियट मानते हैं, वह हीर और रांझा का है। कहा जाता था कि हीर समाज के उच्च वर्ग की लड़की थी, जबकि रांझा एक निचली जनजाति की थी, उनकी प्रेम कहानी का अक्सर उनके वर्ग में अंतर के कारण विरोध किया जाता था।
दोस्तो! मैं जब छब्बीस साल का हुआ और मेरी नौकरी एक आईटी कंपनी मैं लगी, तो मुझे रात की शिफ्ट मिली (9 से सुबेह 6 बजे तक)। हमारी कंपनी मैं इंटरनेट फ्री था, और मेरे एक साथी ने एक दिन मुझे बताया की हम यहां से बैठे हुए दुनिया के किसी भी मैं किसी से बात (आज जिसे हम चैट कहते हैं) कर सकते हैं।
मुझे इंटरनेट पर चैटिंग करने का बहुत शौक हुआ और मैंने रात को चैटिंग करनी शुरू कर दी। मेरा शोक इतना बढ़ा गया की मैं रात को (अपने ऑफिस में) लग भाग चार से पांच घंटे चैटिंग करता था, और इस से मेरा ध्यान सिरफ काम और चैटिंग पर ही रहता था।
मुझे आज भी याद है, जब कंपनी मैं मुझे एक बहुत बड़े चैटर की उपाधी दी गई, इसके साथ सबसे ज्यादा आउटपुट देने का भी सम्मान मिला। अब मात्र इंटरनेट प्रति उसके अंतरराष्ट्रीय दोस्त (खास्कर यूएसए) प्रतिबंध चुके थे, की मैं उनसे रोज चैट करता था।
और उनको मुझसे चैट करना पसंद था। हम एक दूसरे की संस्कृति के बारे में, विचारू के बारे में, रहान-सहन के बारे में बात करते हुए। जो एक अच्छा अदन-प्रदान था।
मुझे शायद भारतियों से बात करना पसंद नहीं था, क्योंकि काई बार जब मैंने भारतियों से बात की, फिर गंदी गलियां दी, ये बीच मैं ही छोड कर चले गए। जबकी वो गोर हमेशा बताकर अलविदा कहकर जाते थे।
इज चैटिंग ने मुझे अपना इतना बड़ा गुलाम बना दिया की अब मैं शनिवार और रविवर को साइबर कैफे मैं जाना शुरू कर दिया और अब में वहां दो तीन घंटे तक चैट करता था। एक दिन जब मैं दिन मैं चैट कर रहा था की अचानक किसी का मुझे चैट आमंत्रण आया, और मैंने जब उससे उसे एएसएल पूछा, तो उसका जवाब आया 22-एफ-दिल्ली, उसे जब मुझसे पूछा तो मैंने भी बता दिया।
उसे मुझसे इंटरनेट दोस्त बन-ने को कहा, मैंने हमी भर दी। अब हम दोनो ने शनिवार और रविवर को एक निश्चय समय प्रति चैट करना और एक दूसरे को पचान-ना शुरू कर दिया। हम दोनो को तेरा दो महिन बीट गए, तो एक दिन उसे फोन प्रति बात करने की बात कही (हमें समय हम लोगो के पास मोबाइल फोन नहीं), भी मैंने अपना लैंडलाइन नंबर दे दिया, और अब हमदो का फोन प्रति बात का उपयोग करें करने का सिलसिला शुरू हो गया।
दो बड़े उसे अपने घर प्रति मुझसे मिलने का इरदा जटाया तो मुझे बड़ा ही अच्छा हुआ, लेकिन मैंने हां कहा दिया।
4. तुम मिले तो…..
हेलो दोस्तों ये कहानी असली है मैं आप ही में से एक हूं…… एक दिन एक ldkiii मिली मुझे इशी साइट पे… .. नाम नहीं बता स्कता पर वो समाज जाएंगे….. कोन मैं……थोडी मदद कर देता हूं उसकी…र से सुरू होता है मेरा नाम…… 2014 एक लड़की ने धोका दिया मुझे पूरा दिन रोना और कुछ ऐसा मैंने सोचा सर में दर्द हो गया मैंने सोचा ldkiya chodii is ke liye फिर भी चीट किया मुझे 8 साल का प्यार भूल गई वो 8 साल में मिस्टर घायल 800 बार किस किया मैंने उसके होठों भट सॉफ्ट बिलकुल दरी मिल्क जेसे बेस होठों का गोंद है तब्ही तो मेरी आंखे नाम है;) कुछ शिखू रंजन राज कुमार।
मुझसे शायरी लव कुछ होता है पता नहीं क्या होता है…. एक महीना बड़ी भट गुसा आ रहा था हम पे जिसके लिए मैं अपनी जान भी देने कू तयार रहता था फिर में जाने की भें को जीएफ बना लिया कुछ दिन बाद उसे भी बात करनी चूड़ दी……. शायद मेरी पूर्व।
ने इस्तेमाल किया दिया….था हमारे रिलेशन के नंगे मेरे…..की जीएफ बना ली और उनसे भी मान नहीं भरा एक दिन इस साइट पे एक ldkii मैं उसके लिए रातो जागा में 3-4 बजे तक बात की उसे एक बांध से नं।
भी दे दिया उसे सोचा लडकी सुंदर तो होगी ही बातो से लग रहा था कुछ दिन बिट गए फोन से हमें बात करने में भट टाइम वेस्ट किया उसे और मेरी लड़ी हो गई एक दिन 100 एसएमएस सॉरी वाले भेजे टीबी भियानी साइट है व्यवस्थापक से उसे मान रास्ता 3दिन लगा तार संदेश सॉरी वाले भेजे मेरी असल जिंदगी में जो गर्लफ्रेंड थी उने भी पता नहीं केसे भूल गया में
5. खामोश प्यार
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उस दिन अचानक ही युनिवर्सिटी कैंपस में हिन्दू कॉलेज के सामने से निकलते हुए वो दिख गई, हमेशा की तरह हमारी नज़रें मिलीं, कुछ देर के लिए, और फिर मैं आगे बढ़ गया… अपने पीछे एक ख़ामोशी छोड़ कर.
हमारी पहचान कोई बहुत पुरानी नहीं है – सिर्फ़ दो साल पहले उसने हमारे स्कूल में एडमिशन लिया था, साइंस के दूसरे सेक्शन में. बहुत प्यारा सा नाम है उसका… शालू (शालिनी मेहता), और शायद नाम के कारण ही मैं शुरू से उसकी तरफ़ खिंचता चला गया था.
मुस्कुराता हुआ मासूम सा चेहरा, और आँखों पर चढ़ा एक चश्मा… कुछ भी तो नहीं था उस साधारण से व्यक्तित्व में मर मिटने लायक! इसके अलावा, बाक़ी लड़कों के विपरीत, मैंने इससे पहले कभी किसी लड़की में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी.
अपने स्कूल का एक जाना-पहचान छात्र और अपनी कक्षा का मॉनिटर होने की वजह से मैं अपने उत्तरदायित्व के प्रति पूरी तरह से सजग रहता था. मगर इस नयी लड़की में कुछ तो ख़ास बात थी जिसने मुझे प्रभावित किया था…
लेखन में शुरू से ही मेरी रूचि रही है… स्कूल बुलेटिन और अन्य कई स्तम्भों में मेरी रचनाएँ नियमित छपा करती थीं. अंग्रेज़ी विषय में हर साल सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए मेरा नाम ‘बोर्ड ऑफ़ ऑनर’ पर लिखा हुआ था.
इस सबके अलावा, स्कूल का एक होनहार, अनुशासनप्रिय, ‘बेस्ट स्टूडेंट’ और एक ‘स्ट्रिक्ट मॉनिटर’ (अन्य सभी छात्र मेरे बारे में ऐसा ही कहते थे – और मुझे यह अच्छा भी लगता था!) जो ठहरा!
एक दिन प्रधानाचार्य के दफ़्तर के बाहर अपने अंग्रेज़ी के अध्यापक से हाल ही में छपे अपने एक लेख, ‘ट्रू फ़्रेंडशिप’ पर कुछ विचार-विमर्श करते हुए मैंने पाया कि शालू भी मेरी रचनाओं में रूचि रखती है. वह वहाँ किसी काम से खड़ी थी, और बड़ी दिलचस्पी से हमारी बातें सुन रही थी.
बारहवीं कक्षा के छात्र, और वो भी विज्ञान के छात्र, बहुत समझदार न सही, इतने बच्चे भी नहीं होते कि इस तरह के आपसी आकर्षण को समझ ना सकें… शायद इसी को लोग प्यार की संज्ञा देते हैं!
फिर पूरा स्कूल जैसे पढ़ाई के माहौल में डूब गया… बोर्ड की परीक्षाएं भी आ गयीं… अपने हर पर्चे से पहले हम अपने सेंटर पर मिलते और एक दूसरे को शुभ कामनाएं देते थे
– आँखों ही आँखों में! एक निश्चित अवधि के बाद परिणाम भी घोषित हो गया… एक बात की मुझे बहुत ख़ुशी हुई – अंग्रेज़ी में इस बार दो डिस्टींक्शन्स थीं, एक मेरी और एक शालू की. यह और बात है कि सर्वाधिक अंक एक बार फिर से मेरे ही थे!
विश्वविद्यालय (युनिवर्सिटी) में प्रवेश के दौरान मैं सिर्फ़ एक बार मिल पाया था उससे… हिन्दू कॉलेज में. और तब मैं यह नहीं जान सका कि उसे वहाँ दाख़िला मिला भी था या नहीं. और मैंने बाद में कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स में प्रवेश ले लिया था…
हमारे पूरे मेल-जोल में एक अविश्वसनीय बात यह रही कि हमने कभी भी एक-दूसरे से कोई बात नहीं की, किसी भी तरह की! और यह परंपरा उस दिन भी क़ायम रही…
अब शायद उससे मेरी मुलाक़ात कभी हो भी न पाए, या हम जीवन के किसी ऐसे मोड़ पर मिलें जहाँ एक-दूसरे से अनजान बने, अपना दामन बचा कर निकल जाना ज़्यादा पसंद करें… अपनी उस ‘पाक-मौहब्बत’ को एक मूढ़ता… एक इनफ़ैचुएशन या टीन-ऐज लव क़रार देते हुए……!
वैसे अगर मैं चाहता तो अपने इस पहले प्यार की ख़ामोशी को तोड़ सकता था… शुरुआत मैं कर सकता था. मगर वह भी तो कर सकती थी! खैर… ऐसा कुछ न हुआ…!
और हक़ीक़त यह है कि मुझे इसका कोई ख़ास अफ़्सोस भी नहीं… क्योंकि मैं प्यार का पुजारी ज़रूर हूँ, भिखारी नहीं जो कटोरा हाथ में
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6. मेरी इंटरनेट वाली लावे स्टोरी
मेरा नाम रितिका है और ये बात साल 2006 की है. उस समय फेसबुक आ चूका था लेकिन ज़्यादा पॉपुलर नहीं था. हम लोग सोशल मीडिया के लिए Orkut वेबसाइट इस्तेमाल करते थे.
जिन्हे नहीं पता उन्हें बता दू कि orkut उस समय की बहुत ही पॉपुलर सोशल मीडिया वेबसाइट थी. हम लोगों में ये वेबसाइट इस्तेमाल करने का बहुत क्रेज होता था. मैं उस समय 19 साल की थी.
2006 में एक फिल्म आयी थी “Phir Hera Pheri”. इस फिल्म का एक पहला पार्ट भी है जिसका नाम है “Hera Pheri”. मेरी Orkut की प्रोफाइल में करीबन 300 फ्रेंड्स थे. मेरे किसी फ्रेंड ने कमेंट किया कि Phir Hera Pheri फिल्म बहुत अच्छी है लेकिन मेरी उससे बहस शुरू हो गयी की पहला पार्ट ज़्यादा अच्छा है ना कि दूसरा पार्ट.
मेरे कॉलेज में एक लड़का था जिसका नाम था धैर्य, वो मेरी फ्रेंड लिस्ट में तो नहीं था लेकिन मेरे कुछ फ्रेंड्स की लिस्ट में था. धैर्य ने भी comment किया कि Phir Hera Pheri यानि कि दूसरा पार्ट ज़्यादा अच्छा है न कि पहला.
मेरी धैर्य के साथ भी बहस होने लगी, यहाँ तक कि मैंने उसे कमेंट में ये भी लिख दिया कि “भाड़ में जा, पहला पार्ट ही अच्छा है”.
बहस का कोई अंत नहीं होता, इसलिए मैंने कमैंट्स करना बंद कर दिया. कुछ दिनों के बाद मुझे धैर्य की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी और मैंने एक्सेप्ट भी कर ली.
रात को मुझे धैर्य का मैसेज आया और वो मुझे उस दिन की बहस के लिए सॉरी बोलने लगा. मैंने भी कहा कि कोई बात नहीं, मैंने भी तुमसे rudely बात की थी, आखिरकार मैंने भी उसे सॉरी कहा.
कुछ दिन तक धैर्य मुझे रोज़ मैसेज करता रहा और मैं भी उससे बात करने लगी. अब कई बार वो मुझे कॉलेज में भी मिलने लगा और उसने कई बार मुझे कॉफ़ी के लिए भी पुछा.
मैं भी अब उसकी कंपनी एन्जॉय करने लगी थी. कुछ दिनों बाद धैर्य ने मुझसे मेरा फ़ोन नंबर माँगा और मैंने दे दिया. अब हम रोज़ मिलने लगे थे और कई बार तो हम कॉलेज बंक करके फिल्म देखने भी चले जाते थे.
एक दिन मैं और धैर्य एक कैफ़े में बैठ कर कॉफ़ी पी रहे थे तो धैर्य ने मुझे प्रोपोज़ कर दिया. मुझे भी वो पसंद था और इसलिए मैंने भी हाँ कर दी लेकिन उसे ये भी समझाया कि हमारा करियर सबसे पहले है, बाद में शादी.
3 साल के बाद धैर्य MBA करने बाहर जा रहा था और उस दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं उससे कितना प्यार करती हूँ. उस दिन मैं धैर्य के साथ 2 घंटे तक बैठी रही और रोइ भी लेकिन खुश थी कि अब वो अपने करियर और ज़िन्दगी को लेकर सीरियस है.
उसने मुझसे ये वादा भी किया जब वो वापिस आएगा तो हम दोनों शादी कर लेंगे. 2 साल तक हम फ़ोन पर बात करते रहे और आखिरकार धैर्य ने अपनी MBA पूरी कर ली और बहुत जल्द उसे एक अच्छी नौकरी भी मिल गयी.
2 साल के बाद धैर्य ने फिर से मुझे शादी के लिए प्रोपोज़ किया और वो मेरी ज़िन्दगी का सबसे खुशहाल पल था. उसने पहले ही अपने घरवालों को मेरे बारे में बता दिया था और बहुत जल्द उसके घरवाले मेरे घर रिश्ता लेकर आ गए.
मेरे घरवालों को कोई आपत्ति नहीं थी क्यूंकि धैर्य एक अच्छा लड़का और well settled था. जल्दी ही हमारी शादी हो गयी और अब हमारा एक 2 साल का बच्चा भी है.
हमारी आज भी उसी बात पर बहस होती है कि Hera Pheri फिल्म का पहला पार्ट ही अच्छा था और अब धैर्य भी मान चूका है कि पहला पार्ट बेहतर था दूसरे पार्ट से.
मैं अपनी इंटरनेट लव स्टोरी कभी नहीं भूल सकती।
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7. प्यार बना पागलपन.
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दोस्तों इस दुनिया में प्यार करने वाले बहुत है और इसीलिए मैं उन सबके साथ अपनी इस Hindi Love Story को शेयर करना चाहती हू ताकि हर किसी को पता चले कि प्यार में कैसे-कैसे experience होते है।
मेरा नाम नेहा है और ये उन दिनों की बात है जब मैं ग्रैजुएशन फ़र्स्ट इयर में थी। मैंने एक इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स जॉइन किया था। वहाँ मेरी मुलाकात रोहित से हुई। रोहित बहुत हैंडसम लड़का था। कुछ ही दिनों में हम दोनों मे अच्छी दोस्ती हो गई। क्लास खत्म होने के बाद हम बाहर खड़े होकर घंटों बातें करते थे।
मैं मन ही मन रोहित को चाहने लगी थी। लेकिन रोहित के मन में मैं नहीं, मेरी फ्रेंड पूजा थी। पूजा तक पहुँचने के लिए ही रोहित ने मुझसे दोस्ती बढ़ाई थी। एक दिन रोहित ने मुझसे कहा कि उसे पूजा अच्छी लगती है। मैं उस दिन बहुत रोई। रोहित मेरा पहला प्यार था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। फिर भी मैं रोहित से बात करती रही।
मेरी और रोहित की दोस्ती बढ़ती ही जा रही थी। क्लास बंद हो गई थी लेकिन हमारा मिलना जुलना बंद नहीं हुआ। रोहित भी अब मुझे प्यार करने लगा था। पूजा की तरफ वो आकर्षित तो था लेकिन उसको अब मेरी आदत हो गई थी।
मैं रोहित को खो देने के डर से उसकी हर बात झट से मान लेती थी। रोहित ने मेरी इस आदत का गलत फायदा उठाया। रोहित मेरे बाहर आने जाने, कपड़े पहनने, किसी से बात करने, हर चीज में रोक टोक करने लगा। रोहित पर एक सनक सी सवार हो गई थी।
वो हर समय मुझ पर शक करता। मुझे इंसान ना समझ कर कोई कठपुतली समझने लगा था। मुझे उस रिश्ते में घुटन होने लगी थी। हर समय मुझे महसूस होता जैसे मैं कोई कैदी हूँ। रोहित का प्यार अब पागल पन बनता जा रहा था।
एक दिन भी ना मिल पाये तो वो अजीब हरकतें करने लगता था। कई बार उसने मुझ पर हाथ भी उठा दिया था। रोहित के व्यवहार के कारण हमारे झगड़े बढ़ते जा रहे थे। हर रोज मैं रो कर ही सोती थी।
ग्रैजुएशन पूरा हो गया था। रोहित मुझ पर शादी करने का दबाव बनाने लगा। लेकिन मैंने रोहित के साथ जिन्दगी बिताने से अलग हो जाना बेहतर समझा।
मैं सारी जिंदगी रो कर नहीं बिताना चाहती थी। मैंने फैसला किया कि पापा के ट्रान्सफर की बात रोहित को नहीं बताऊँगी।
रोहित को बिना बताए मैं नये शहर चली आई। उसने मुझे ढूँढने की बहुत कोशिश की। मुझे बहुत फोन किये, मैसेज भी किये कि वो सबके सामने मुझे बदनाम कर देगा लेकिन मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया।
और अपना नंबर बंद कर दिया। रोहित को मेरा पता मिल जाता तो सनकी रोहित कुछ भी कर सकता था। लेकिन अंत में उस सनकी आशिक से मुझे छुटकारा मिल ही गया।
दोस्तों ये थी मेरी हिंदी लव स्टोरी। ऐसा कई लड़कियों के साथ होता है और ये हम लड़कियों के लिए बिलकुल भी safe नहीं. प्यार में थोडा पागलपन तो चलता है लेकिन जब पागलपन हद से ज्यादा बढ़ जाए तो ये खतरनाक हो सकता है।
8. सौरभ और साक्षी की प्यार भरी कहानी
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सौरभ और साक्षी 3 साल से एक-दूसरे से प्यार करते थे। सौरभ कानपुर में Job करता और अपने family के साथ रहता था और साक्षी अपने Job के कारण लखनऊ में अकेले रहती थी। कल सौरभ का जन्मदिन था।*
साक्षी ने शाम को सौरभ को call किया। “सौरभ तुम्हें क्या gift चाहिए?” साक्षी ने सौरभ से पूछा।
“साक्षी मैंने कई बार तुमसे कहा कि मुझे कुछ नहीं, बस तुम चाहिए। “सौरभ ने कहा।
इसी बीच साक्षी के mobile में उसके boss का call आने लगा। “सौरभ boss का call आ रहा है, byy I’ll call you later.
“साक्षी यार!” सौरभ बात कहता इतने पर उसने call काट दिया।
सौरभ सोचने लगा “साक्षी के पास मेरे लिए समय नहीं है। तभी साक्षी का message आता है ‘sorry सौरभ अभी urgent meeting है office जा रही हूँ। खाना खा लेना Good night ‘
सौरभ का mood खराब हो गया। लेकिन उसे पता था कि साक्षी जरूर समय निकाल कर उसे 12 बजे सबसे पहले birthday Wish करेगी।
रात के 12 बजते हैं और साक्षी का call नहीं आता है, सौरभ इंतजार करता है और lastly साक्षी को call करता है लेकिन कोई response नहीं मिलता है। फिर call Try करते-करते सौरभ की आंख लग जाती है।
सुबह के 4 बजे अचानक सौरभ का mobile ring होता है, वह अचकचा कर उठता है और आधी निन्द में call receive करता है।
उधर से आवाज आती है “जी कौन बोल रहा है? यहाँ पर lakhnow highway पर एक accident हो गया है और लड़की की हालत गंभीर बनी हैं उसे Medanta Hospital में एडमिट कराये हैं। आप जल्दी आ जाएँ मैं lacknow पुलिस से हूँ।
सौरभ का Phone हाथ से छूटता है। फिर उठाके पूछता हैं “सर” लड़की कैसी हैं? अभी ठीक हैं? कुछ हुवा तो नहीं न? गंभीर चोट लगी हैं? इसी बिच पुलिस वाला बोलता हैं। आप जल्दी आ जाएँ, लड़की ICU में हैं।
सौरभ आनन-फानन Lakhnow के लिए निकलता हैं। वो सुबह के 7 बजे हॉस्पिटल पहुँचता हैं। लेकिन डॉक्टर उसे मिलने नहीं देते हैं। हालत पूछता हैं तो “डॉक्टर बताते हैं” अभी इलाज चल रहा हैं उम्मीद है ठीक हो जाएगी।
सौरभ नम आँखों से ICU की तरफ झांकता रहा हैं। ICU रूम से आने वाले डॉक्टरों को हालत पूछता, इसी बिच “सौरभ को” नर्स आवाज दी “आप साक्षी के परिवार से हैं? अब पेसेंट से मिल सकते हैं।
“सौरभ” ICU के अंदर साक्षी की हालत देखते ही रो देता हैं। उसे पैरो और कंधे पर गंभीर चोट लगी थी, जिसमे प्लास्टर लगी थी। लेकिन होश में थी। “सौरव” पूछता हैं ये कैसी हो गया? अभी कैसा लग रहा हैं? कही और चोट लगी हैं क्या?
साक्षी मुस्कुरा के जवाब देती हैं “हैप्पी बर्थ डे
“सौरव साक्षी के हाथ छूटे हुवे कहता हैं” पर मुझे बर्थ डे का ये गिफ्ट नहीं चाहिए था।
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9. गरीब लड़के को हुआ आमिर लड़की से प्यार
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मेरा नाम रोशन है और मैं आपको अपनी एक मस्ती की कहानी सुनाने जा रहा हू जब मुझे अपने से बड़ी लड़की से प्यार हुआ. मैं हमेशा से अपने से बड़ी लड़की की तरफ आकर्षित होता था लेकिन जब मेरी ज़िन्दगी में मिनाक्षी आयी तो मुझे उससे प्यार हो गया. मिनाक्षी मुझसे 6 साल बड़ी है. आज मैं आपको बताने जा रहा हू कि क्यों मुझे अपने से बड़ी लड़की से प्यार हुआ और क्यों बड़ी उम्र की लड़किया होती है सबसे परफेक्ट.
जी हाँ, अपने से बड़ी लड़की से प्यार करने का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि लड़की को ज़िन्दगी का काफी एक्सपीरियंस होता है और वो आपसे छोटी छोटी बातो पर नहीं झगड़ेगी.
मस्ती की कहानी – बड़ी उम्र की लड़कियों को प्यार का मतलब अच्छे से पता होता है और उन्हें एक रिश्ते को संभल कर रखना बखूबी आता है.
अपने से बड़ी उम्र की लड़किया ज़्यादा खुशदिल होती है. मिनाक्षी जब सुबह उठती है तो सबसे पहले मुझे फोन करके I Love you या गुड मॉर्निंग बोलती है और यकीन मानिये मेरा पूरा दिन बहुत अच्छा जाता है
. मिनाक्षी छोटी छोटी बातो की सराहना करना जानती है जो कि बहुत ख़ास बात है. अगर मैं मिनाक्षी को शाम को एक गुलाब का फूल भी दे दू तो वो इतना खुश होती है कि पूछिए मत, और मुझे ये बहुत अच्छा लगता है. मस्ती की कहानी
अपने से बड़ी लड़की से प्यार का मतलब है रिश्ते में आज़ादी. मिनाक्षी एक अच्छी कंपनी में जॉब करती है और काफी कमाती है इसलिए वो आज़ाद ख़याल की है. वो छोटी छोटी बातो के लिए मुझे नहीं पूछती और सबसे बड़ी बात कि वो कभी मुझे पैसे खर्चने नहीं देती क्यूंकि वो जानती है कि अभी मैं कोई नौकरी नहीं कर रहा हूँ.
मस्ती की कहानी – अपने से बड़ी लड़की से प्यार करने का बड़ा फायदा ये है कि वो कोई ड्रामा या नाटक नहीं करती. मिनाक्षी mature है और उसे पता है कि क्या सही है और क्या गलत. जब भी हम कही बाहर जाते है तो वो मेरा ध्यान रखती है कि मैं ठीक समय पर घर चले जाऊ और वो हमेशा इसका भी ध्यान रखती है कि मैं कही ज़्यादा व्हिस्की ना पिऊ.
बड़ी उम्र की लड़कियों को पता होता है कि लड़को को बेड में क्या पसंद है और क्या नहीं. कई बार तो मिनाक्षी इतना रोमांटिक हो जाती है कि मुझे लगता है कि मैं दुनिया का सबसे handsome व्यक्ति हू और ये एहसास आपको सिर्फ एक mature या बड़ी उम्र की लड़की ही दिला सकती है. मस्ती की कहानी
चूँकि बड़े उम्र की लड़कियों ने ज़्यादा ज़िन्दगी जी होती है, वे हमारी गलतियां आसानी से माफ़ कर देती है. मेरा मानना है कि अपने से बड़ी लड़की से प्यार की वजह से मैं relationships और लड़कियों को ज़्यादा अच्छे से समझने लगा हू और ये संभव हो सका सिर्फ मिनाक्षी की वजह से
. सिर्फ रिश्ते को ही नहीं, बल्कि अब मैं अपने आप को भी ज़्यादा समझने लगा हू. कई बार मैं किसी मुसीबत में हू या ज़िन्दगी में कोई मुश्किल आ जाये तो मिनाक्षी के पास हर प्रॉब्लम का हल मिल जाता है.
दोस्तों, अगर आपको मेरी ये मस्तभरी मस्ती की कहानी (Best Romantic Story for Girl Friend in Hindi) अच्छी लगी तो शेयर ज़रूर करे. अपने से बड़ी लड़की से प्यार एक अलग ही अनुभव का एहसास होता है और मैं काफी lucky हू जो मुझे हुआ. आपके लाइफ में भी कोई कहानी हो तो निचे सबमिट में जाकर हमें भेजे।
10.प्यार बना पागलपन.
Love Story In Hindi.
दोस्तों इस दुनिया में प्यार करने वाले बहुत है और इसीलिए मैं उन सबके साथ अपनी इस Hindi Love Story को शेयर करना चाहती हू ताकि हर किसी को पता चले कि प्यार में कैसे-कैसे experience होते है।
मेरा नाम नेहा है और ये उन दिनों की बात है जब मैं ग्रैजुएशन फ़र्स्ट इयर में थी। मैंने एक इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स जॉइन किया था। वहाँ मेरी मुलाकात रोहित से हुई। रोहित बहुत हैंडसम लड़का था। कुछ ही दिनों में हम दोनों मे अच्छी दोस्ती हो गई। क्लास खत्म होने के बाद हम बाहर खड़े होकर घंटों बातें करते थे।
मैं मन ही मन रोहित को चाहने लगी थी। लेकिन रोहित के मन में मैं नहीं, मेरी फ्रेंड पूजा थी। पूजा तक पहुँचने के लिए ही रोहित ने मुझसे दोस्ती बढ़ाई थी। एक दिन रोहित ने मुझसे कहा कि उसे पूजा अच्छी लगती है।
मैं उस दिन बहुत रोई। रोहित मेरा पहला प्यार था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। फिर भी मैं रोहित से बात करती रही।
मेरी और रोहित की दोस्ती बढ़ती ही जा रही थी। क्लास बंद हो गई थी लेकिन हमारा मिलना जुलना बंद नहीं हुआ। रोहित भी अब मुझे प्यार करने लगा था। पूजा की तरफ वो आकर्षित तो था लेकिन उसको अब मेरी आदत हो गई थी।
मैं रोहित को खो देने के डर से उसकी हर बात झट से मान लेती थी। रोहित ने मेरी इस आदत का गलत फायदा उठाया। रोहित मेरे बाहर आने जाने, कपड़े पहनने, किसी से बात करने, हर चीज में रोक टोक करने लगा।
रोहित पर एक सनक सी सवार हो गई थी। वो हर समय मुझ पर शक करता। मुझे इंसान ना समझ कर कोई कठपुतली समझने लगा था। मुझे उस रिश्ते में घुटन होने लगी थी। हर समय मुझे महसूस होता जैसे मैं कोई कैदी हूँ। रोहित का प्यार अब पागल पन बनता जा रहा था।
एक दिन भी ना मिल पाये तो वो अजीब हरकतें करने लगता था। कई बार उसने मुझ पर हाथ भी उठा दिया था। रोहित के व्यवहार के कारण हमारे झगड़े बढ़ते जा रहे थे। हर रोज मैं रो कर ही सोती थी।
ग्रैजुएशन पूरा हो गया था। रोहित मुझ पर शादी करने का दबाव बनाने लगा। लेकिन मैंने रोहित के साथ जिन्दगी बिताने से अलग हो जाना बेहतर समझा।
मैं सारी जिंदगी रो कर नहीं बिताना चाहती थी। मैंने फैसला किया कि पापा के ट्रान्सफर की बात रोहित को नहीं बताऊँगी।
रोहित को बिना बताए मैं नये शहर चली आई। उसने मुझे ढूँढने की बहुत कोशिश की। मुझे बहुत फोन किये, मैसेज भी किये कि वो सबके सामने मुझे बदनाम कर देगा लेकिन मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया।
और अपना नंबर बंद कर दिया। रोहित को मेरा पता मिल जाता तो सनकी रोहित कुछ भी कर सकता था। लेकिन अंत में उस सनकी आशिक से मुझे छुटकारा मिल ही गया।
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दोस्तों ये थी मेरी हिंदी लव स्टोरी। ऐसा कई लड़कियों के साथ होता है और ये हम लड़कियों के लिए बिलकुल भी safe नहीं. प्यार में थोडा पागलपन तो चलता है लेकिन जब पागलपन हद से ज्यादा बढ़ जाए तो ये खतरनाक हो सकता है।
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